भारत में खालिस्तान कौन है?खालिस्तान का मतलब क्या है?
खालिस्तान का अर्थ है "खालसे की सरजमीन "।भारत के पंजाब राज्य के सिख अलगाववादियों द्वारा प्रस्तावित राष्ट्र को दिया गया नाम है।खालिस्तान के क्षेत्रीय विस्तार का दावा करने वाले अलगाववादी पंजाब,चंडीगढ़,हरियाणा,हिमांचल प्रदेश,दिल्ली तथा राजस्थान,उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के कुछ हिस्सों तक को खालिस्तान का क्षेत्र बताते हैं।खालिस्तानी आंदोलन की शुरुआत कब हुई?
खालिस्तानी अलगववादियों ने 29 अप्रेल 1986 को भारत से अपनी एकतरफा आज़ादी की घोषणा की और 1993 में खालिस्तान UNPO का सदस्य बना।
1980 से 1990 के दशक में खालिस्तानी आंदोलन अपने चरम पर था,उसके बाद धीरे - धीरे भारत सरकार ने इसे दबा दिया ।
खालिस्तान का इतिहास क्या है?
ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद एक अलग सिख राष्ट्र की मांग हुई ।खालिस्तान का सबसे पहले जिक्र 1940 में खालिस्तान नमक एक किताब में किया गया ।
1947 के बाद दूसरे देशो में रहने वाले सिखो के द्वारा वित्तीय और राजनितिक समर्थन तथा पाकिस्तान की ISI के समर्थन से खालिस्तान आंदोलन भारतीय राज्य पंजाब में फला-फुला और 1980 के दशक में यह आंदोलन अपने चरम पर पहुंचा।
रेफरेंडम 2020 क्या है?
रेफरेंडम एक जनमत संग्रह है जो अमेरिका स्थित सिख फार जस्टिस (SFJ) संगठन द्वारा कई देशो में आयोजित एक वोटिंग का अभ्यास है। इसपर भारत सरकार ने 2019 में अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए बैन लगा दिया था।
इस जनमत संग्रह का उद्देश्य है भारत कर अंदर एक अलग देश खालिस्तान की स्थापना करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक SFJ की स्थापना 2007 में हुई थी और इसका लीडर पंजाब विश्वविद्यालय के कानून स्नातक गुरुपतवंत सिंह पन्नू है,जो संयुक्त राज्य अमेरिका में एक वकील के तौर पर काम करता है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार क्या है ?
80 के दशक में पंजाब में हिंसक घटनायें बढ़ने लगी ।1981 में पंजाब केसरी के संस्थापक लाला जगत नारायण की हत्या फिर 1983 में पंजाब पुलिस के DIG ए एस अटवाल की गोली मार कर हत्या कर दी गयी ।इन सबके लिए भिंडरवाले को जिम्मेदार ठहराया गया।
इसके बाद भिंडरवाले ने स्वर्ण मंदिर को अपना घर बना लिया और हिंसक घटनायें बढ़ती जा रही थीं ।
भिंडारावाले को पकड़ने के लिए उस समय इंदिरा गाँधी सरकार ने 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' को 1984 में शुरु किया ।सेना ने स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी शुरु कर दी थी।पंजाब से आने जाने वाली रेलगाड़ियों और बसों को रोक दिया गया ,फोन कन्नेक्शन काट दिये गये और विदेशी मीडिया को राज्य से बाहर जाने को कहा गया ।
3 जून 1984 को पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया,4 जून की शाम से सेना ने गोलीबारी शुरु कर दी और इसमे काफी खून- खराबा हुआ ,6 जून को भिंडरवाले को मार दिया गया।
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