अधिकतर प्रॉपर्टी खरीदने वालो का झुकाव जमीन के तरफ ज्यादा होता है।इसकी वजह यह है कि जमीन पर हम अपने हिसाब से घर बना सकते हैं,जबकि फ्लैट या अपार्टमेंट में ऐसा नही है।लेकिन जमीन खरीदने में कई जोखिम भी है।अगर भी जमीन खरीदने की सोच रहे हैं तो इस पोस्ट को पुरा पढ़ ले ।
जमीन खरीदते वक्त टाइटल की जाँच जरूर करें-
कोई भी जमीन का टुकड़ा खरीदने से पहले टाइटल की जांच करना सबसे जरूरी और अहम होता है।टाइटल जाँच से मतलब यह है कि आप यह पता करे कि जो व्यक्ति जमीन बेच रहा है,वही जमीन का असली मालिक है और उसके पास ही सारे अधिकार है ।इसके लिए आप एक वकील के पास जाएँ ताकि सेल्स डीड और प्रॉपर्टी टैक्स की जाँच करवाकर वेंडर के टाइटल कन्फर्म होने का सर्टिफिकेट आप हासिल कर सके।
पावर ऑफ अटार्नी
कई बार जमीन मालिक की ओर से पावर ऑफ अटार्नी के जरिये बेचा जाता है । इसकी जाँच गहनता से करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वही प्रॉपर्टी बेचीं जा रही है।ऐसे भी मौके होते जब कुछ समय के भीतर कुछ तस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना जरूरी होता है और उसी में देरी होती है, इससे लागत बढ़ जाती है,ऐसी स्थिति से बचने के लिए आप किसी और को अपनी ओर से हस्ताक्षर करने ,चीजों को आसान बनाने के लिए अधिकृत कर सकते हो।
जमीन खरीद में टैक्स और खाता
जमीन खरीदने से पहले ,खरीददार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान हस्तांतरण की तारीख तक किया जा चुका है और वेरिफिकेशन के लिए इस तरह के भुगतान के लिए मूल रसीदे तैयार हैं।यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि वेंडर के नाम पर खाता उपलब्ध है ।
जमीन खरीदने के कानूनी नियम
भूमि के खरीदार को यह सुनिश्चित. करना चाहिए कि स्थानीय. कानून भूमि खरीदने पर कोई रोक ना लगाए।कुछ राज्यों में गैर- कृषि विज्ञानी ,कंपनियां,फर्म,और 2500000 रुपये से अधिक इनकम वाले व्यक्ति कृषि भूमि नही खरीद सकते।लेकिन कुछ राज्यों में ऐसे नियमो में ढील दी गयी है ।इसीलिए जमीन खरीदने से पहले किसी वकील से सलाह जरूर ले लें।
जमीन की माप
कोई भी जमीन खरीदने से पहले या अपने नाम पर रजिस्ट्रेशन करने से पहले उस जमीन को माप ले,यह सुनिश्चित करने के लिए कि जमीन के टुकड़े की माप और सीमाएं सटीक हैं।
सरकार की इजाजत है या नही -
अगर आप फ्लैट या कोई जमीन खरीद रहे हैं तो देख लें कि बिल्डर को कंस्ट्रक्शन की अनुमति मिली है या नही।इसके लिए इससे सम्बंधित विभाग जैसे- डीडीए, जीडीए,आवास बोर्ड से पूछताछ करनी चाहिए।अगर आप इससे भी संतुष्ट नही हैं तो RTI का सहारा ले सकते हैं।
प्रॉपर्टी पर कर्ज तो नही है -
खरीदार को खरीदने से पहले यह पता कर लेना चाहिए कि प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज तो नही है।अगर ऐसा है तो उसकी भुगतान की जिम्मेदारी आप की होगी। कई बार कुछ बिल्डरो ने खरीदार को बेवकूफ भी बनाया है।
प्रॉपर्टी बेचने वाले की पुरी जानकारी रखें-
आप जिस भी व्यक्ति से प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं,वह कैसा व्यक्ति है यह जानना बहुत जरूरी है।कई बार बेचने वाला अपनी पुरी जानकारी नही डेटा है या फिर सही जानकारी नही देता है,तो पहले प्रॉपर्टी बेचने वाले के बारे में पुरी जानकारी पता कर ले और यह भी पता करे कि उसने इसके पहले भी प्रॉपर्टी बेचीं है या नही ।
प्रॉपर्टी गवर्नमेंट या कलेक्टेर लैंड तो नही है-
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले पता कर ले कि प्रॉपर्टी गवर्नमेंट या कलेक्टर लैंड तो नही ।कलेक्टर लैंड में वह जमीन शामिल होती है जो लैंड रिकॉर्ड्स में कलेक्टर के पास हो और उस पर कलेक्टर. का हक होता है।गवर्नमेंट लैंड में वह लैंड शामिल होते है जो रिकॉर्ड्स में स्टेट या. सेंट्रल गवर्नमेंट के अधीन होती हैं।
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